Monday 29 July 2013
Wednesday 17 July 2013
निद्रा के सामान्य नियम
जिन कमरों में दिन में सूर्य का प्रकाश पहुँचता हो तथा रात्रि में स्वच्छ हवा का आवागमन हो, ऐसे स्थानो पर शयन करना लाभदायक है।
चादर, कम्बल, रजाई आदि से मुँह ढककर सोना हानिकारक है क्योंकि नाक और मुँह
से कार्बन डाई ऑक्साइड गैस निकलती है जो स्वास्थ्य पर बुरा असर डालने वाली
गैस है।
मुँह ढके रहने पर
श्वसन-क्रिया द्वारा यही वायु बार-बार अन्दर जाती रहती है और शुद्ध वायु
(आक्सीजन) न मिलने से मनुष्य निश्चय ही रोगी और अल्पायु बन जाता है।
ओढ़ने के कपड़े स्वच्छ, हलके और सादे होने चाहिए। नरम-नरम बिस्तर से
इन्द्रियों में चंचलता आती है, अतः ऐसे बिस्तर का प्रयोग न करें।
रात्रि में जिन वस्त्रों को पहनकर सोते हैं, उसका उपयोग बिना धोये न करें। इससे बुद्धि मंद हो जाती है।
अतः ओढ़ने, पहनने के सभी वस्त्र सदा स्वच्छ होने चाहिए। रजाई जैसे मोटे
कपड़े यदि धोने लायक न हों तो कड़ी धूप में डालना चाहिए क्योंकि सूर्य के
प्रकाश से रोगाणु मर जाते हैं।
Top 10 brain damaging habits
Sorry Friends Later I will post this post in Hindi.
1. No Breakfast
People who do not take breakfast are going to have a lower blood sugar
level. This leads to an insufficient supply of nutrients to the brain
causing brain degeneration.
2. Overeating
It causes hardening of the brain arteries, leadingto a decrease in mental power.
3. Smoking
It causes multiple brain shrinkage and may lead to Alzheimer disease.
4. High Sugar Consumption
Too much sugar will interrupt the absorption of proteins and nutrients
causing malnutrition and may interfere with brain development.
5. Air Pollution
The brain is the largest oxygen consumer in our body. Inhaling polluted
air decreases the supply of oxygen to the brain, bringing about a
decreasein brain efficiency.
6 . Sleep Deprivation
Sleep allows our brain to rest. Long term deprivation from sleep will accelerate the death of brain cells.
7. Head Covered While Sleeping
Sleeping with the head covered increases the concentration of carbon
dioxide and decrease concentration of oxygen that may lead to brain
damaging effects.
8. Working Your Brain During Illness
Working hard or studying with sickness may leadto a decrease in effectiveness of the brain as well as damage the brain.
9. Lacking in Stimulating Thoughts
Thinking is the best way to train our brain, lacking in brain stimulation thoughts may cause brain shrinkage.
10. Talking Rarely
Intellectual conversations will promote the efficiency of the brain.
Share it to all, so that most of us get benefitted
Thanks
Thursday 4 July 2013
Do not change your knee joints.
घुटने मत बदलिए : राजीव दीक्षित Rajiv Dixit
RARA Factor जिनका प्रोब्लेमाटिक है और डॉक्टर कहता है के इसके ठीक होने का कोई चांस नही है | कई बार कार्टिलेज पूरी तरह से ख़तम हो जाती है और डॉक्टर कहते है के अब कोई चांस नही है Knee Joints आपको replace करने हि पड़ेंगे, Hip joints आपको replace करने हि पड़ेंगे | तो जिनके घुटने निकाल के नया लगाने की नौबत आ गयी हो, Hip joints निकालके नया लगाना पड़ रहा हो उन सबके लिए यह औषधि है जिसका नाम है हरसिंगार का काड़ा |
राजीव भाई का कहना है के आप कभी भी Knee Joints को और Hip joints को replace मत कराइए | चाहे कितना भी अच्छा डॉक्टर आये और कितना भी बड़ा गारंटी दे पर कभी भी मत करिये | भगवान की जो बनाई हुई है आपको कोई भी दोबारा बनाके नही दे सकता | आपके पास जो है उसिको repair करके काम चलाइए | हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री अटलजी ने यह प्रयास किया था, Knee Joints का replace हुआ अमेरिका के एक बहुत बड़े डॉक्टर ने किया पर आज उनकी तकलीफ पहले से जादा है | पहले तो थोडा बहुत चल लेते थे अब चलना बिलकुल बंध हो गया है कुर्सी पे ले जाना पड़ता है | आप सोचिये जब प्रधानमंत्री के साथ यह हो सकता है आप तो आम आदमी है |
वन्देमातरम्
आर्थराइटिस का उपचार : राजीव दीक्षित Rajiv Dixit
1. दोनों तरह के आर्थराइटिस (Osteoarthritis और Rheumatoid arthritis) मे आप एक दावा का प्रयोग करे जिसका नाम है चुना, वोही चुना जो आप पान मे खाते हो | गेहूं के दाने के बराबर चुना रोज सुबह खाली पेट एक कप दही मे मिलाके खाना चाहिए, नही तो दाल मे मिलाके, नही तो पानी मे मिलाके पीना लगातार तिन महीने तक, तो आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा | अगर आपके हात या पैर के हड्डी मे खट खट आवाज आती हो तो वो भी चुने से ठीक हो जायेगा |
2 . दोनों तरह के आर्थराइटिस के लिए और एक अछि दावा है मेथी का दाना | एक छोटा चम्मच मेथी का दाना एक काच की गिलास मे गरम पानी लेके उसमे डालना, फिर उसको रात भर भिगोके रखना | सबेरे उठके पानी सिप सिप करके पीना और मेथी का दाना चबाके खाना | तिन महीने तक लेने से आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा |
3. ऐसे आर्थराइटिस के मरीज जो पूरी तरह बिस्तर पकड़ जुके है, चाल्लिस साल से तकलीफ है या तिस साल से तकलीफ है, कोई कहेगा बीस साल से तकलीफ है, और ऐसी हालत हो सकती है के वे दो कदम भी न चल सके, हात भी नही हिला सकते है, लेटे रहते है बेड पे, करवट भी नही बदल सकते ऐसी अवस्था हो गयी है .... ऐसे रोगियों के लिए एक बहुत अछि औषधि है जो इसीके लिए काम आती है | एक पेड़ होता है उसे हिंदी में हरसिंगार कहते है, संस्कृत पे पारिजात कहते है, बंगला में शिउली कहते है , उस पेड़ पर छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और फुल की डंडी नारंगी रंग की होती है, और उसमे खुसबू बहुत आती है, रात को फूल खिलते है और सुबह जमीन में गिर जाते है । इस पेड़ के छह सात पत्ते तोड़ के पत्थर में पिस के चटनी बनाइये और एक ग्लास पानी में इतना गरम करो के पानी आधा हो जाये फिर इसको ठंडा करके रोज सुबह खाली पेट पिलाना है जिसको भी बीस तिस चाल्लिस साल पुराना आर्थराइटिस हो या जोड़ो का दर्द हो | यह उन सबके लिए अमृत की तरह काम करेगा | इसको तिन महिना लगातार देना है अगर पूरी तरह ठीक नही हुआ तो फिर 10-15 दिन का गैप देके फिर से तिन महीने देना है | अधिकतम केसेस मे जादा से जादा एक से देड महीने मे रोगी ठीक हो जाते है | इसको हर रोज नया बनाके पीना है | ये औषधि Exclusive है और बहुत strong औषधि है इसलिए अकेली हि देना चाहिये, इसके साथ कोई भी दूसरी दावा न दे नही तो तकलीफ होगी | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा |
Wednesday 3 July 2013
How much dangerous to drink water during meal.
भोजन के साथ पानी पीना कितना खतरनाक.
How much dangerous to drink water during meal.
This is a very good article. Not only about the warm water
after your meal, but about Heart Attacks. The Japanese drink hot tea with their
meals, not cold water, maybe it is time we adopt their drinking habit while
eating.
यह एक बहुत अच्छा लेख है. ये सिर्फ खाने के बाद गर्म पानी ही नहीं, लेकिन दिल के दौरे में गर्म पानी कितना सहायक है इसके बारे में है. जापानी लोग अपने भोजन में ठंडा पानी नहीं गर्म चाय या गर्म पानी पीना पसंद करते है, शायद यह समय है जब हमें भी भोजन करते समय उनके पीने की आदत को अपनाये.
For those who like to drink cold water, this article is
applicable to you. It is nice to have a cup of cold drink after a meal.
However, the cold water will solidify the oily stuff that you have just
consumed. It will slow down the digestion. Once this 'sludge' reacts with the
acid, it will break down and be absorbed by the intestine faster than the solid
food. It will line the intestine. Very soon, this will turn into fats and lead
to cancer. It is best to drink hot soup or warm water after a meal.
ये लेख उन
लोगो को ज़रूर
पढना होगा जो
लोग खाना खाने
के समय या
बाद में ठंडा
पानी पीना पसंद
करते है. ठंडा
पानी जो आप
खाने के साथ
पीते हो वो
आपके द्वारा भोजन
में लिए गए
तेल या घी
को जमा देगा,
और ये आपकी
पाचन प्रक्रिया तो
धीमा कर देगा.
एक बार ये
जमे हुए तेल
या घी वाला
खाना हमारे शरीर
के पाचन तंत्र
प्रक्रिया में आया
तो ये हमारी
आंतो में ठोस
आहार की बजाये
बहोत आसानी से
सोख लिया जाता
है और
ये हमारी आंतो
में ही जमा
रह जाता है,
बहोत जल्दी हमारे
शरीर में ये
अत्यधिक वसा के
रूप में
एकत्रित हो जाता
है जिस कारण
हमें बहोत सारी
शारीरिक समस्याओ का सामना
करना पड़ता है
जिसमे दमा और
थोड़ी से मेहनत
या पैदल चलने
के बाद हमारे
सांस का फूल
जाना अहम् है,
और ये अपचा
भोजन जो हमारे
शरीर में पड़ा
पड़ा सड़ता रहता
है ये हमें
छोटी से छोटी
बीमारी से लेकर
हमें कैंसर तक
का मार्ग दिखता
है.सबसे सही तो है के हम भोजन के वक़्त पानी पियें ही नहीं, भोजन से आधा घंटा पहले न आधा घंटा बाद में, अगर हम पानी के बिना नहीं रह सकते तो हमें जापानी लोगो की तरह भोजन के बाद सिर्फ गर्म पानी या सूप ही लेना चाहिए तांकि हमारी आंते साफ़ रह सके.
और हमारी भारतीय संस्कृति
में तो भोजन
के साथ पानी
पीने की मनाही
है.
Monday 1 July 2013
एल्युमीनियम के बर्तनों के नुक्सान
Aluminium ke bartan ke nuksaan
एल्युमीनियम
के
बर्तन
जो
आज
कल
हर
घर
में
पाए
जाते
है,
क्या
आप
जानते
है
के
ये
हमारे
शरीर
में
ज़हर
का
काम
करते
है,
हम
इन
बर्तनों
से
जो
भी
खाना
बनाते
है
वो
खाना
भी
हमारे
लिए
एक
धीमा
ज़हर
बन
जाता
है,
आज
कल
ये
हमारे
घरो
में
FRYING PANS, PRESSURE COOKER, कडाही और
भी
कई
प्रकार
के
बर्तनों
के
रूप
में
हमारी
रसोई
में
मौजूद
रहता
है.
बाज़ार
में
70 से
80 PERCENT तक बर्तन
एल्युमीनियम
के
ही
पाए
जाते
है,
उस
के
पीछे
भी
कारण
है
और
वो
ये
है
के
ये
बर्तन
अन्य
धातुओ
की
तुलना
में
सस्ते
होते
है,
और
ये
गर्मी
के
बहुत
अच्छे
सुचालक
होते
है,
ये
जल्दी
गरम
हो
कर
खाना
बनाने
में
हमारा
समय
बचाते
है,
एल्यूमीनियम
के
बर्तन
की
लागत
कम
है,
लेकिन
इन
में
बना
हुआ
खाना
हमारे
शरीर
के
लिए
बहुत
हानिकारक
है.
आम
तौर
पर
प्रति
दिन
हम
4 से
5 मिलीग्राम
एल्यूमीनियम
की
मात्रा
हमारे
शरीर
में
पहुँचती
है
सिर्फ
इस
लिए
क्यूंकि
हमारा
भोजन
एल्युमीनियम
के
बर्तनों
में
बनता
है,
एल्यूमीनियम
की
इस
बड़ी
मात्र
को
निकालने
में
हमारा
शरीर
असमर्थ
है.
जो
हम
एल्यूमीनियम
के
बर्तन
में
बना
भोजन
और
कुछ
भी
उबल
हुआ
पीने
के
माध्यम
से
ले
रहे
हैं
एक
धीमा
जहर
है.
ये
जहर
लगातार
भोजन
और
पीने
के
माध्यम
से
हमारे
शरीर
में
प्रवेश
कर
रहा
है.
एल्यूमीनियम
के
बर्तन
में
बना
हुए
खाने
का
रंग
और
स्वाद
बदल
गया
है.
एल्युमीनियम के बर्तनों में बना हुआ खाना हानिकारक क्यूँ है ?
इसका
मुख्य
कारण
ये
है
कि
जब
हम
एल्युमीनियम
के
बर्तनों
में
खाना
बनाते
है
तो
एल्युमीनियम
acidic foods के साथ
एक
reaction करता है, यह अत्यधिक
प्रतिक्रियाशील
है
और
भोजन
के
साथ
मिल
जाता
है
और
हमारे
भोजन
के
साथ
हमारे
शरीर
में
प्रवेश
कर
जाता है. अल्युमीनियम
भारी
धातु
है
और
हमारा
उत्सर्जन
तंत्र
(excretory system) इस को
पचाने
और
शरीर
से
बहार
निकलने
में
असमर्थ
है,
अगर
हम
इन
बर्तनों
में
बना
हुआ
खाना
कई
सालो
तक
खाते
रहे
तो
ये
धातु
हमारे
muscles, kidneys, liver and bones में
समा
जाता
है,
और
ये
अवस्था
हमारे
शरीर
को
कई
गंभीर
बीमारियों
में
ड़ाल
देती
है
जिनके
बारे
में
लोगो
को
पता
नहीं
चलता,
यह
मुख्य
रूप
से
मस्तिष्क
पर
काम
करता
है
और
मानव
मस्तिष्क
की
कोशिकाओं
के
विकास
को
रुक
देता
है.
इस
तरह
से
एल्यूमीनियम
के
बर्तन
हमारे
शरीर
के
लिए
बहोत
हानिकारक
हैं.
और
Doctors भी
हम
लोगो
को
बस
बीमारियों
की
दवा
देते
रहते
है
इन बीमारियों
का
मुख्य
कारण
क्या
है
इस
के
बारे
में
कोई
नहीं
बताता.
Aluminium
poisoning के लक्षण.
एल्यूमीनियम
का
मुख्य
लक्षण
है
पेट
में
दर्द
होना.
जब
आप
पेट
में
दर्द
महसूस
करते
है
तो
यह
एल्यूमीनियम
विषाक्तता
के
कारण
हो
सकता
है.
और
इसके
दूसरे
लक्षण
भी
है
जैसे
memory loss(weak) और
चिंता
है.
Diseases
caused due to aluminium poisoning:
एल्यूमीनियम विषाक्तता के कारण उत्पन्न रोग :
·
Memory
loss and depression (स्मृति हानि और अवसाद)
·
Depression
and anxiety (अवसाद और चिंता)
·
Ulcer
in mouth (मुंह में अल्सर)
·
Asthma
(दमा)
·
Appendix
(परिशिष्ट)
·
Kidney
failure (गुर्दे की विफलता)
·
Alzheimer
(अल्जाइमर)
·
Eye
problem (नेत्र समस्या)
·
Diarrhea.
(दस्त)
उपरोक्त रोगों हमें एल्यूमीनियम के बर्तन में पकाए हुए भोजन की वजह से पैदा होते है. ये
बर्तन हमारे शरीर को बेहद प्रभावित करते हैं, जो
भोजन को विषैला बनाते है, प्यारे
दोस्तों अपने अनमोल जीवन को बचाने के लिए aluminuium के बर्तनों का उपयोग बंद कर दे और हर जगह इस जागरूकता को फैलाने में हमारी मदद करे जो और लोगों का जीवन बीमारियों से बच सके.
अगर
आप
अपने
परिवार
को
बीमारी
मुक्त
और
तंदरुस्त
देखना
चाहते
है
तो
कम
से
कम
एल्युमीनियम
के
बर्तन
की
जगह
हम
अपने
घरो
में
स्टील
या
पीतल
के
बर्तनों
का
इस्तेमाल
करे.
जितना जल्दी हो सके अपने घर में स्टील पीतल या तांबे के बर्तनों को इस्तेमाल कीजिये.
Thank you for reading the post.
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